ISSN 2582-5445 (online)

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भीश्म साहनी के नाटक: एक परिचय

    1 Author(s):  ANJANEE KUMAR GIRI

Vol -  3, Issue- 1 ,         Page(s) : 11 - 15  (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSI

Abstract

भीश्म साहनी हिन्दी के प्रसिद्ध जनवादी रचनाकार हैं। प्रतिबद्धता उनके साहित्य के केन्द्र में है । साहित्य उनके लिए आत्मभिव्यक्ति, कलाजन्य आनन्द का माध्यम नहीं है अपितु वह अपनी रचनाओं के माध्यम से विसंगतियों से भरे अपने युग में एक सार्थक हस्तक्षेप करते हैं, और कहना न होगा कि उनका यह हस्तक्षेप अपने समाज को जागरूक और जुझारू बनाने के लिए है। अपनी रचनाओं के माध्यम से वह समय और समाज की षिनाख्त करते हैं, सत्ता और समाज की विद्रुपता का पर्दाफाष करते हैं। माक्र्सवाद उन्हें जीवन जगत को देखने का एक नजरिया देता है साथ ही साथ सतत परिवर्तन के लिए सतत संघर्श की प्रेरणा भी, किन्तु वह विचारधारा की कट्टरताओं से मुक्त होकर वृहद् मानवीय संदर्भ व सरोकारों से ताल्लुक रखने वाले रचनाकार है।

1 भीश्म साहनी, हानूष पृश्ठ13, भूमिका गिरीष रस्तोगी
2 आजकल (मासिक), फारवरी 2004, पृश्ठ34
3 हिन्दी नाटक का आत्म संघर्श, गिरीष रस्तोगी , पृश्ठ238, संस्करण2002
4 कबिरा खडा बाजार में, भूमिका पृश्ठ9
5 माधवी -भीश्म साहनी, पृश्ठ67 
6 मुआवजे - दो षब्द,भीश्म साहनी ,संस्करण2004

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